वहां सिर्फ आग लगायी जाती हैं
जिसे खुद की गलती ना दिखती हो
गुस्सा इतना की बाजारों में बिकता हो
गुस्सा क्या होता हैं
इंसान जगते जगते सोता हैं
ना उसकी बातों में परिपक्वता हो
ऐसा इंसान कैसा इंसान जो अपने क्रोध में जीता हो
जिंदगी भर सिर्फ क्रोध ही पीता हो
वहां ना कोई फिर ज्ञान की बात बतायी जाती हैं
वहाँ सिर्फ आग लगाई जाती हैं
अरे खुद को तुम धर्म ग्याता मानते
अरे दूर शहरो की...
गुस्सा इतना की बाजारों में बिकता हो
गुस्सा क्या होता हैं
इंसान जगते जगते सोता हैं
ना उसकी बातों में परिपक्वता हो
ऐसा इंसान कैसा इंसान जो अपने क्रोध में जीता हो
जिंदगी भर सिर्फ क्रोध ही पीता हो
वहां ना कोई फिर ज्ञान की बात बतायी जाती हैं
वहाँ सिर्फ आग लगाई जाती हैं
अरे खुद को तुम धर्म ग्याता मानते
अरे दूर शहरो की...