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यादें
दो शब्द ही तो लिखे थे और हमेशा की तरह फिर चेहरे पर उलझता जा रहा था
कलम के नीचे पडा सफेद कागज ,कहानियो से रंगीन होने के लिए बेताब हुए जा रहा था ।
यु तो वक़्त सबको बदल देता है तो उसका भी बदलना लाजमी होता है
अब तो मुलाकातें बस यादों के शहर में और बाते कविता के शब्दो से होता है ।
© All Rights Reserved
कलम के नीचे पडा सफेद कागज ,कहानियो से रंगीन होने के लिए बेताब हुए जा रहा था ।
यु तो वक़्त सबको बदल देता है तो उसका भी बदलना लाजमी होता है
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