बंजारा पिया
बंजारे से इश्क़ कर बैठी मैं,
उसका प्रेम भी बंजारा था।
सोचती थी की शायद उसका घर बन जाऊंगी मैं
पर उससे जाना तो कही और ही था
उसकी यादों में तड़पती हु
मन मेरे...
उसका प्रेम भी बंजारा था।
सोचती थी की शायद उसका घर बन जाऊंगी मैं
पर उससे जाना तो कही और ही था
उसकी यादों में तड़पती हु
मन मेरे...