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कतरा कतरा दिल- उन अपनो के लिए जिन्हें खो दिया हमने 😞✍️
कतरा कतरा जोड़ कर एक दिल को धड़काना पड़ता है । जान सी प्यारी जान को खोकर फिर उठना पड़ता हैं । खुद के दर्द को दरकिनार कर अपनो के चेहरो को पढ़ना पड़ता हैं। खोती हैं कितनी जिंदगियाँ लेकिन खुद को समझाना पड़ता हैं। अधूरे ख़्वाब पूरे नहीं होते चले गए परिंदे फिर कभी घर नहीं लौटते। अश्क बहाकर खुद को कोसना पड़ता है । दिल के कोने को आवाज़ देनी पड़ती है लौट आ तेरे बिना जिया नहीं जाता। बचपन तो कब बीत गया पर जवाँ दिल पर अब दर्द सहा नहीं जाता।

करीब है मेरे अब भी तु जाने के बाद, लौट आ तु फिर झगड़ने के बहाने से तेरे अपनो के दिल के जख्म पर मरहम लगा जा वो जाने वाले कभी लौट आ अपने आशियाने।

ख्वाब अधूरे रह ही जायेंगे पता हैं जाने वाले दिल की आवाज़ भी अब नहीं सुन पाएंगे।

रख लो पत्थर अपने दिलो पर, मजबूर हैं तुम्हे छोड़ जाने वाले भी।

किताबो मे दर्द बयां नहीं होते , उड़ चुके परिंदे बस खफा ही रहते हैं।
हर तरफ बस खामोशी होती हैं यकीन करो जिस दर्द को तुम महसूस करते हो न वो तेरा नहीं वो तो उस दिल का हैं जो जाने वाला तेरे दिल मे छोड़ गया हैं। क्योंकि खुदा या भगवान ने उसे दिल साथ लेकर जाने की भी इजाजत नही दी।

जी लो इस गम को ये तेरा अकेले का नहीं है एक तेरा दिल है पर धड़कन दो हैं।

रोया न करो तेरा जाने वाला तो तेरे दिल मे तेरे लिए पहले ही रो रहा हैं।

Aarti kumari singh ✍️😞
© Aarti kumari singh