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फिर मिलूँगा...
टूटे हुए ख्वाबों की निशानी में मिलूँगा,
मैं लफ्ज़ बनकर किसी कहानी में मिलूँगा,,,
जब भी कहीं कोई ख्वाहिश उजड़ेगी,
अश्क बनकर मैं आंख के पानी में मिलूँगा,,,
थम जाएगा जब शोर मेरी ज़िन्दगानी का,
हर रोज़ मैं शाम की वीरानी में मिलूँगा!!!
© Ali
मैं लफ्ज़ बनकर किसी कहानी में मिलूँगा,,,
जब भी कहीं कोई ख्वाहिश उजड़ेगी,
अश्क बनकर मैं आंख के पानी में मिलूँगा,,,
थम जाएगा जब शोर मेरी ज़िन्दगानी का,
हर रोज़ मैं शाम की वीरानी में मिलूँगा!!!
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