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शोर
आज बहुत शोर में थी मैं
चीढ़ रही थी रो रही थी मैं
चाहिए थी शांति मुझे
उठे अपने अदंर के तूफान से
उलझनों से और उलझे सवालों से
चाहिए था बस जवाब मुझे मेरे ही सवालों का
जवाब देना नही था मुझे किसी को
देना है तसल्ली खुद को ही
बहुत भीड़ है जिंदगी में मेरी
अकेले रहने की चाह है
रहूं थोड़ा सुकून से
भले ही खुशियां न हो
मगर चाहिए मुझे मेरे सावालो के जवाब
जिसके दूर दूर तक दिख नहीं रहे नमो निशान
किसी भी तरह से चाहती हूं रोकना आसूं को अपने
दुनिया बहुत कमजोर समझती है
चाहती हूं उनको दिखना हर रोने वाले कमजोर नहीं होते
जज्बाती होते है मगर हर मुस्किल का करते है सामना
थक गई हूं साबित करते करते
क्यों जरूरी है किसी को तसल्ली देने
बस मिल जाए मुझे मेरे सवालों के जवाब
उलझने मेरे सारे हो जायेंगे खत्म
थोड़ा सुकून मिलेगा सायद
और मिलेगा जीने का असल मकसद।।
© Aaliya
चीढ़ रही थी रो रही थी मैं
चाहिए थी शांति मुझे
उठे अपने अदंर के तूफान से
उलझनों से और उलझे सवालों से
चाहिए था बस जवाब मुझे मेरे ही सवालों का
जवाब देना नही था मुझे किसी को
देना है तसल्ली खुद को ही
बहुत भीड़ है जिंदगी में मेरी
अकेले रहने की चाह है
रहूं थोड़ा सुकून से
भले ही खुशियां न हो
मगर चाहिए मुझे मेरे सावालो के जवाब
जिसके दूर दूर तक दिख नहीं रहे नमो निशान
किसी भी तरह से चाहती हूं रोकना आसूं को अपने
दुनिया बहुत कमजोर समझती है
चाहती हूं उनको दिखना हर रोने वाले कमजोर नहीं होते
जज्बाती होते है मगर हर मुस्किल का करते है सामना
थक गई हूं साबित करते करते
क्यों जरूरी है किसी को तसल्ली देने
बस मिल जाए मुझे मेरे सवालों के जवाब
उलझने मेरे सारे हो जायेंगे खत्म
थोड़ा सुकून मिलेगा सायद
और मिलेगा जीने का असल मकसद।।
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