शोर
आज बहुत शोर में थी मैं
चीढ़ रही थी रो रही थी मैं
चाहिए थी शांति मुझे
उठे अपने अदंर के तूफान से
उलझनों से और उलझे सवालों से
चाहिए था बस जवाब मुझे मेरे ही सवालों का
जवाब देना नही था मुझे किसी को
देना है तसल्ली खुद को ही
बहुत भीड़ है जिंदगी में मेरी
अकेले रहने की चाह है
रहूं थोड़ा सुकून से
भले ही...
चीढ़ रही थी रो रही थी मैं
चाहिए थी शांति मुझे
उठे अपने अदंर के तूफान से
उलझनों से और उलझे सवालों से
चाहिए था बस जवाब मुझे मेरे ही सवालों का
जवाब देना नही था मुझे किसी को
देना है तसल्ली खुद को ही
बहुत भीड़ है जिंदगी में मेरी
अकेले रहने की चाह है
रहूं थोड़ा सुकून से
भले ही...