Surrender
हम मिले ,
एक दूसरे से मिलते रहें ,
इक दूसरे "में" मिलते रहे ।
बातो से बातें बनती रहीं,
घंटो की न गिनती रही।
इक दूसरे की चाह थीं,
ना और कोई परवाह थी ।
बेकरारी ने मिलने को ,
मिलन बना दिया ।
हर दफा बंदिशों का टूटना,
चलन बना दिया ।।
तेरी बातों का कायल,
तेरी खुशबू का दीवाना बन गया ।
क्या रूह क्या जिस्म,
तेरे एक इशारे का बहाना बन गया !!
© mukesh_syahi
एक दूसरे से मिलते रहें ,
इक दूसरे "में" मिलते रहे ।
बातो से बातें बनती रहीं,
घंटो की न गिनती रही।
इक दूसरे की चाह थीं,
ना और कोई परवाह थी ।
बेकरारी ने मिलने को ,
मिलन बना दिया ।
हर दफा बंदिशों का टूटना,
चलन बना दिया ।।
तेरी बातों का कायल,
तेरी खुशबू का दीवाना बन गया ।
क्या रूह क्या जिस्म,
तेरे एक इशारे का बहाना बन गया !!
© mukesh_syahi
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