...

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बचपन
जब हम छोटे थे ,
हमे किसी चीज की फिक्र नहीं होती थी।
हमारे बचपन कब गुजर जाते है
पता ही नहीं चलता ।

बचपन में हम खेलते थे कूदते थे ,
मस्ती करते थे ,
फिर जब हम बड़े हो जाते है ,
हमे बचपन की यादें आने लगती है ।

एक बचपन जो हमे खुशियां देती है ,
चाहत चांद को पाने की थी ,
पर दिल तितली का दिवाना था।
ना सुबह का पता चलता ,
और ना रात का ।

मां की कहानियां सुनना पसंद था ,
जब नींद नहीं आती थी ,
मां की गोद में सोकर ,
कहानियां सुनते थे ।

जब बारिश आती थी ,
उन बारिश में भीगते थे ,
कागज की नाव बनाते थे ,
बचपन में हम कितने मस्ती करते थे ।

बचपन की यादें मन को खुश कर देता है।
दोस्तो के साथ खेलना ,
वह हसी मुलाकाते ।
और रात को सो जाना ,
किसी चीज की चिंता नही थी ।