...

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हे अवधपति हे रघुनन्दन
हे अवधपति हे रघुनन्दन
मुझको क्यू यूं तरसाते हो
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो

श्यामल सूरत लट घुँघराले
कौशीलया के राजदुलारे
अवध में पलना झूल रहे
या छवि को आयो मैं देखन ||
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो || हे अवधपति हे रघुनन्दन...

माना मैं प्रिय तुलसी दास नहीं
पर चरणों का मैं दास तो हूँ
मेरे घर में पधारो सियाराम जी
देदो चरणों की सेवा का दान ||
दे दो मुझको भी दर्शन
इतना क्यू इतराते हो || हे अवधपति हे रघुनन्दन...
© -Pandit Neeraj Mishra ✍️