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प्रेम
#TheUnrequitedLove
कृष्ण ने जो चलन
था सिखाया हमें
बचपन से ही
वो था भाया हमें
हम भी चलने को आतुर
थे उस राह पे
प्रतिमाएं भी गढ़ी
स्वप्न की छाँव से
पर बहुत ही दुरूह
मुझको ये पथ मिला
मेरी भटकन का था
अनवरत सिलसिला
अब प्रभु आकर मेरी
बांह थाम लो
मैं जिसे कहूँ अपना
वो नाम लो
कृष्ण ने जो चलन
था सिखाया हमें
बचपन से ही
वो था भाया हमें
हम भी चलने को आतुर
थे उस राह पे
प्रतिमाएं भी गढ़ी
स्वप्न की छाँव से
पर बहुत ही दुरूह
मुझको ये पथ मिला
मेरी भटकन का था
अनवरत सिलसिला
अब प्रभु आकर मेरी
बांह थाम लो
मैं जिसे कहूँ अपना
वो नाम लो
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