...

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!! रात सोती क्यूं नहीं !!
रात सोती क्यों नहीं और
सितारे क्यूं मेरी राह देखते रहते है
यादें तुम्हारी क्यूं सताने चली आती हैं
जिस रहगुज़र पर चले थे
हम कभी हमसफ़र बनकर
वो राह तो कहकशाँ की
रोशनी में समय यात्रा पर कहीं चली गई
ये अकेली चाँदनी क्यों
मेरा इंतज़ार करती है ??
आती रहेंगी बहारें जाती रहेंगी बहारें
धूप छाँव बारिश मौसम बदलते रहेंगे
तेरे मेरे क़िस्से कहानियाँ अफ़साने
हवाएँ ज़माने को सुनाती रहेंगी
मगर फिर भी रात सोती क्यूं नहीं ???
© राजेश पंचबुधे