...

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"आवरण"
हमेशा ही रहस्य से लगने वाले,
मेरे तुम !

अज़नबी से,
अपना बन जाने तक का,
सफ़र तय कर चुकने के बावज़ूद भी,
भावनात्मक लगाव हो जाने के,
बाद भी,
आत्मिक जुड़ाव,
महसूस करने के बावज़ूद भी,
वो महीन-सा ही सही मग़र आवश्यक...