...

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बचपन वाला प्यार❤❤
मेरे मन की पिढ़ा,
मेरे मन का सुख,
तुझे ही मांगता सदा,
तुझ से ही खुद |

दिन बीते साल बीते,
मिलने की तड़प बढ़ी,
मिलना ना हो पाया,
ऐसी थी तकदीर लिखी ||

लिखने पढ़ने शहर को आये,
भूले भटके रास्तों के ढेर थे पाए,
स्वयं को उस रास्ते पे थे लाये,
जो सोचा था कभी, तुझ तक जाए |||

धीरे-धीरे उम्र बढ़ी,
धीरे-धीरे वक़्त गया,
जिसे चाहा है, वो चला गया,
जिसे चाहा था, वो आ गया ||||

देख तस्वीर तेरी अक्सर,
खुशी से मन झूमता है,
पास मे हो कोई तेरे,
कांटों सा वो चुभता है |||||

एक उम्र बीती है,
तुझसे जुडी यादें मीठी है,
बचपन जिया है तेरे संग,
तेरे बिना जिंदगी अधूरी है ||||||

तू समझ सके,
इसीलिए लिखता हु,
बार-बार ज़िक्र करता हूं,
शब्दों की भाषा समझाकर,
मन मे हमें रखा कर |||||||

तेरे आँगन मे छलांग लगायी थी हमने,
तेरे नूर पर हिम्मत दिखाई थी हमने,
एक कदम तू बढ़ा दे, एक कदम में बढ़ाऊंगा,
उम्र मेरी बढ़ती जाये, फिर भी तुझे चाहूंगा- फिर भी तुझे चाहूंगा ||||||||







© Sarang Kapoor

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