माँ
मधुकारी मनोहर दृश्य मन को मोह लेते हैं,
माँ तेरी निश्छल मुस्कान को देख ये देवगण भी तुझे प्रणाम करते हैं,
इंद्रप्रस्त की पताका को तूने ही पुनः उत्तीर्ण किया,
राष्ट्र के गौरव को तूने "माता" का सम्मान दिया।
बागियों की निर्मल मुस्कान है तू,
पल्ल्वित कलियों के उदय का अर्क नाम है तू,
काल की लाठी तम प्रसारती है रेखाएँ,
प्राणों की रक्षा करने वाली " सावित्री " नाम है तू।
लोभहीन यशोदा मयिया समान प्रेम...
माँ तेरी निश्छल मुस्कान को देख ये देवगण भी तुझे प्रणाम करते हैं,
इंद्रप्रस्त की पताका को तूने ही पुनः उत्तीर्ण किया,
राष्ट्र के गौरव को तूने "माता" का सम्मान दिया।
बागियों की निर्मल मुस्कान है तू,
पल्ल्वित कलियों के उदय का अर्क नाम है तू,
काल की लाठी तम प्रसारती है रेखाएँ,
प्राणों की रक्षा करने वाली " सावित्री " नाम है तू।
लोभहीन यशोदा मयिया समान प्रेम...