मेरा मन
बहोत समझाता हूँ मेरे मन को
क्यों उलझाता है तू अपने आपको
के तू अकेला नहीं है इस संसार में
उसके अपनें भी है इस कायनात में
ना इतना तडप के खूद का मन दुखे
ना परेशान हो के हलक में सांस अटके
जो बस में नहीं उसका खयाल छोड
जीतना जद में है उतना ही तू पकड
उसका अपना वजूद है तो...
क्यों उलझाता है तू अपने आपको
के तू अकेला नहीं है इस संसार में
उसके अपनें भी है इस कायनात में
ना इतना तडप के खूद का मन दुखे
ना परेशान हो के हलक में सांस अटके
जो बस में नहीं उसका खयाल छोड
जीतना जद में है उतना ही तू पकड
उसका अपना वजूद है तो...