चीखता दिल...
" जोरों से चीखता रहा दिल, सन्नाटे की चाहत में,
तूफान बन गया बवंडर, वक्त के आहट में,
क्यू दर्द पर दर्द ये वक्त दिए जा रहा है,
जैसे मेरे ताजे जख्मों पर नमक लगा रहा है,
मेरे जिन्दगी के कमरे में कहां कोई खिड़की है,
चारो तरफ बस अंधेरा मडरा रहा है,
सिकुड़...
तूफान बन गया बवंडर, वक्त के आहट में,
क्यू दर्द पर दर्द ये वक्त दिए जा रहा है,
जैसे मेरे ताजे जख्मों पर नमक लगा रहा है,
मेरे जिन्दगी के कमरे में कहां कोई खिड़की है,
चारो तरफ बस अंधेरा मडरा रहा है,
सिकुड़...