तो मैं तैयार हूं,,,,,
सजेगी महफिल गर उसकी गली, तो मैं तैयार हूं,
वो लाए तशरीफ गर महफ़िल में, तो मैं तैयार हूं,
करो इंतजाम सर ओ सामां का रहे न कमी कोई,
बाकी छोड़ दो मुझपे तुम अ साकी, तो मैं तैयार हूं,
और गजल दर गजल आज मैं महफ़िल सजा दूंगा,
गर सजानी हो पेशानी पे सिफर भी, तो मैं तैयार हूं,
और सुना है तैयार है वो भी, हद से गुजर जाने को,
करो ऐलान गुजरना पड़े गर हद से, तो मैं तैयार हूं,
आब गर दरकार हो, तो...
वो लाए तशरीफ गर महफ़िल में, तो मैं तैयार हूं,
करो इंतजाम सर ओ सामां का रहे न कमी कोई,
बाकी छोड़ दो मुझपे तुम अ साकी, तो मैं तैयार हूं,
और गजल दर गजल आज मैं महफ़िल सजा दूंगा,
गर सजानी हो पेशानी पे सिफर भी, तो मैं तैयार हूं,
और सुना है तैयार है वो भी, हद से गुजर जाने को,
करो ऐलान गुजरना पड़े गर हद से, तो मैं तैयार हूं,
आब गर दरकार हो, तो...