...

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अब हम वो नहीं रहे
इश्क़ के शुरुआती दिन कितने खाश थे
जब तुम हर लम्हा मेरे साथ थे
खुले आसमान मे अकेला रहना भी सुकून देता था
पर अब लगता है की तारे पहले जेसे चमक नही रहे
अब शायद हम वो नहीं रहे
लडाई का तो कोई किस्सा ही न था
किसी तीजे का कोई हिस्सा न था
बस लापरवाह सी एक दुसरे की परवाह करना
पर अब साथ होने का एक दूजे को दिलाशा भी दे नही रहे
अब शायद हम वो नहीं रहे
मोका न मिलने पर भी बात किया करते थे
चोरी चोरी मुलाक़ात किया करते थे
कुछ अपनी सुनाना कुछ तेरी सुनना
अब प्यार भरे वो हालात नही रहे
अब शायद हम वो नही रहे...