यह दिल तु समझ
तेरे मिठी मिठी बातों पे आ गया था दिल मेरा,
शुभ, संध्या मेरे दिल में छबि था तेरा
उस रात रो रही थी गिर कर तेरे पैरों में,
बात करने को तरस रही थी मैं
अहंकार में घुलती हुई तेरे आँखों ने,
नजर अंदाज कर दिया था मेरे आँखों को
मेरे सारे सपने जुड़े थेे तेरे सपनो से,
जो...
शुभ, संध्या मेरे दिल में छबि था तेरा
उस रात रो रही थी गिर कर तेरे पैरों में,
बात करने को तरस रही थी मैं
अहंकार में घुलती हुई तेरे आँखों ने,
नजर अंदाज कर दिया था मेरे आँखों को
मेरे सारे सपने जुड़े थेे तेरे सपनो से,
जो...