लो आज मैं लिखती हुं।
लो आज मैं लिखती हुं,
उन नायाब पलो को पिरोकर,
उन फिजाओ को समेटकर ,
उन यादो को सजाकर ।
लो आज मैं लिखती हुं ,
नयी उमंगे लेकर ।
सुरज सी रोशनी...
उन नायाब पलो को पिरोकर,
उन फिजाओ को समेटकर ,
उन यादो को सजाकर ।
लो आज मैं लिखती हुं ,
नयी उमंगे लेकर ।
सुरज सी रोशनी...