...

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जिंदगी
जीने को मुझे जिंदगी ना मिली ,
मरने को मुझे मौत न मिली |

भटकता रहा में काफिरों की तरह ,
भीख माँगने गया तो मुझको भीख भी ना मिली |

दो पल रास्ते में ठहरा था मगर ,
मुझको जीने को दो पल सुकून के ना मिले |

शायद मेरी औकात से बहार थी जिंदगी मेरी,
ख्वाबों का आसमान तो मुझे मिला,
मगर उड़ने को मुझे पंख ना मिले |

मैं जिया तो अधूरा
में मरा भी अधूरा ,
हम तो इतने बदनसीब निकले ,
जिससे मोहब्बत की आखिर में मुझको वो भी ना मिला |

मुझे ये जहां ना मिला मुझको वो जहां भी ना मिला ,
उनके बगैर मुझे फिर दूसरा कोई इंसान भी ना मिला ||

© adhoore khwab