...

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तुम जैसा ही ना हो
जरा सी ढील दी तो डोर फिसल सकती है
जरा कस कर थामना हाथ तेरे शहजादे का

और एक शेर भी है शेर को सवा शेर मिलता है
कहीं तुम जैसा ही ना वो अपने वादे का

तुम उलझा तो लोगी ना उसको अपनी आंखों में
कहीं जान ना ले अंजाम वो तेरे इरादे का

जरुरी नही हर बाजी में तेरी फतेह ही हो
मर्तबा कई रुतबा बड़ा देखा है प्यादे का

ये दामन...