...

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कुछ अधूरा सा
हृदयपट से लिख रहा हूं खुमार अधूरा सा
पूर्ण समर्पण से लिख रहा हूं स्वीकार अधूरा सा
कल्पनाओं को दूं आकार साकार कर जाऊं
इस उत्कर्ष से लिख रहा हूं सिंगार अधूरा सा
छट जाएं जीवन से कभी का अंधेरा
इस प्रयास में लिख रहा हूं प्रकाश अधूरा सा
है परिचित मुझसे मेरे स्वप्नों की नायिका
इस विश्वास से लिख रहा हूं इज़हार अधूरा सा
हदयपट से लिख रहा हूं खुमार अधूरा सा
पूर्ण समर्पण से लिख रहा हूं प्यार अधूरा-सा

-पंकज कोहली