सावन संग आस
घन घटा घुमर आई कारी बदरिया,
सावन के मेघ में लिपटी चुनरिया।
राह तकती अखियन,
बेसुध मन बिरहन।
बैरन बाट जोहती चंचल...
सावन के मेघ में लिपटी चुनरिया।
राह तकती अखियन,
बेसुध मन बिरहन।
बैरन बाट जोहती चंचल...