...

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" तू ही रास्ता हो, मेरी मंजिल के...।"
तू ही रास्ता हो मेरी मंजिल के,
अब ना जा तू मुझे छोड़कर।
बस तेरा ही सहारा है, बिखरे हुए सपनों पर,
तू ही साथी तू ही सहारा, जो गुज़रे हम राहों पर।



मै समंदर हूं तो, तू ही किनारा हो,
डूबने मत देना मुझे, इन गहरी राहों में।
कहीं डगमगा जाए जो पद मेरा,
उठा लेना तू अपने ही बाहों में।


लहर आए अगर राहों में,
ढक लेना तू मुझे, अपने ही आंचल से।
दरिया बनकर बहता जाऊं अगर,
छिपा लेना तू अपने ही आंखो के काजल से।



साथ अगर टूट जाए, जो तेरा,,
कोई बहाना मत बनाना।
ढूंढने पर फिर मिलूंगा, तेरे दिल के पास,
मिल गए अगर करीब तेरे, तू मुझे गले से लगा लेना।


नहीं है इस दुनिया में, तेरे जैसा साथी।
अपना बीच धारा में हो, ओर मुझे साहिल पर रखे।
चोट जो थोड़ा आए, आंसू बहने ना दे।
अपना हिल कोरा में रहे, ओर मुझे महफ़िल में रखें।



बस तू ही मेरा आखिरी सफर, बीच धारा के।
तेरे ही भरोसा मै जीता हूं सनम हर पल।
छोड़ मत देना हाथ मेरा, नहीं तो मै बह जाऊंगा।
क्या पता फिर लौट पाऊं या ना लौट पाऊं।
बस लिखता चला जाऊं, तेरे होंठो पर गजल।।



© writer manoj kumar❤️🖊️