...

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खौफ़
लहरातीं चुल मचाती,
मस्तानी चीलों की सनसनी।
पेश है समक्ष आपके
इस नाचीज़ की ज़ुबानी।

वो लम्बी लम्बी उड़ाने,
क्या खूब तीखी नज़रें।
आसमान की राणियों के
कदी ना खत्म होने वाले नखरे।

एक से बढ़कर एक करतब ये दिखतीं,
हवा में ही कबूतर कैच कर लेतीं। लपक-लपक के फुल अय्याशी।
कंजर कहीं की सुन भी लें जो किसी की।

अम्बर की अटारी का बैनामा
ठोक चुकी हैं भई, वो भी चौड़े में।मजाल जो...