...

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तेरी आहट
लिए आज में कुछ लिखना चाहता हु

तुम ख्यावो मे जिसकी तम्मना
करती उसकी तरह
दिखना चाहता हु

तेरी आहट मेरी लिए आराम जैसी है
तेरी तस्वीर भी तक़दीर में नहीं है
ये शाम कैसी है?

सुना सा पड़ा में तेरी आने से खिल उठता

तुझे पसन्द न हो मेरी सुरत पर...