...

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//मलमल से ख़्याल//
"मेहरबान ख़्वाहिशें मन की सुलझ जाती है,
ज़हन में सबकी रह रह कर सुलग जाती है।

मलमल से ख़्याल , रूह तक को गुदगुदा जाते हैं,
ख़ामोशी में रहना सिखाकर सपने बुदबुदा जाते हैं।

मुस्कुराते हुए ही जीना है चाहे कोई खंज़र चलाए,
ख़ाक में मिलने से पहले थोड़ा भला कर जाए।

निभाते जाना है जिम्मादारी दे जाना तुम निशानी,
मत तोड़ना स्वाभिमान किसी का कभी तुम इस ज़िंन्दगानी।

मिलन, बिछड़न शहर कराती रहेगी बेकल,
जी लो अपनी साँसे खुली हवा में किसने देखा है कल।।"
By Rashmi Shukla
© ©Saiyaahii🌞✒