...

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कुछ कहना था तुमसे
कभी कभी लोग भावुकता में आकर
अनजानों से भी बहुत कुछ कह जाते है
मन ही मन में उन्हें अपने दिल में जगह दे जाते है
जब हकीकत से होते है रूबरू
बस वो अकेले ही रहे जाते है
बस वो अकेले ही रहे जाते है

उन पर ही दो पक्तिया है।


कुछ कहना था तुमसे
कहने थे दिल के कुछ राज तुमसे
बताना था की में खफा हूं खुदसे
करनी थी कुछ सिफारिशें तुमसे
करवा दोना मुझे आजाद खुदसे
हां है पता
की तुम नाराज हो मूझसे
जरा सा उदास हो खुदसे
नही करना चाहते हो बात मूझसे
देखो तुम
अब और नहीं रहो ना नाराज मुझसे
कहो ना अपने दिल के राज मूझसे
ऐसे नही होते ना उदास खुदसे
सुनो ना
अपने दिल का हाल मूझसे
जो नही कह पा रहें हो खुदसे
अब जान लो ना मूझसे
कुछ कहना था तुमसे
कुछ कहना था तुमसे.....
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