...

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गलती
माना गलती मेरी थी
बस यही बात मुझे खलती थी,
रोया था कई रात मै
सुबह शाम जिसकी चलती थी ,
मुझे रुलाया सरेआम
क्या मुझे कोई बताएगा मेरी क्या गलती थी,
हसता हुआ लड़का था मै
देख अपने यारी को अक्सर घर से लड़ता था ,
पर तूने दिखाई अपनी जात
मुझे झुकया मुझे तड़पाया सरेआम
गलती मेरी इतनी थी ,
कोई ना था मेरे साथ
माना गलती मेरी थी ,
जो निभाया तेरा साथ
इतना दुःख मुझे क्यों
माना गलती मेरी थी,

© rsoy