...

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मेरे साथ चलो..
ये आज के ज़माने की बातें मुझे नहीं आती
जो मेरी ख़ामोशी सुन सको तो मेरे साथ चलो

ये हीर-राँझा लैला-मजनूं शीरीं-फरहाद कोई नहीं
माँ-पापा सा प्रेम निभा सको तो मेरे साथ चलो

ये चाँद-तारे फूल गुलाब गजरे तितली कुछ भी नहीं
बस कुछ फुरसत के पल ला सको तो मेरे साथ चलो

कि मुश्किल हालात में छोड़ जाते हैं अब तो सभी
तुम मुझको बिखरने से बचा सको मेरे साथ चलो

ये तक़रार ग़म उलझनें दुख-दर्द तकलीफ़ें फिर भी
मेरे साथ बस थोड़ा मुस्कुरा सको तो मेरे साथ चलो

ये शायरी ये ग़ज़लें ये कविता ये नज़्मे तो सब पढ़ लेंगे
जो तुम मेरी नज़रें पढ़ सको तो मेरे साथ चलो

यूँ तो थाम रक्खे हैं हौंसलों के दामन मैंने हाथों में
जो तुम मेरा हाथ पकड़ सको तो मेरे साथ चलो

यूँ तो तय कर सकती हूँ मैं तन्हा भी सफ़र अपना
मगर दो कदम साथ चल सको तो मेरे साथ चलो