...

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शिव की परिभाषा
विष का गागर कंठ मे जमाए
डमरू की ध्वनि विराजमान हो जाए
मस्त मलंग मदहोश अपनी धुन में चलता
आक्रोश का सागर अपनी भीतर समाए

ज्ञान का भंडार कला का देवता
शक्ति का प्रतीक प्रसाद बेल का पत्ता
कोई कहता है भोलेनाथ कोई कहता शिवाय
दुनिया का मोह...