रात सब जानती थी
ये रात सब जानती थी
मेरे दर्द को पहचानती थी
कितनी रातें जाग कर गुज़ारी
खिड़की पर रखीं लालटेन सब जानती थी
रोज़ भरोसा टूट रहा...
मेरे दर्द को पहचानती थी
कितनी रातें जाग कर गुज़ारी
खिड़की पर रखीं लालटेन सब जानती थी
रोज़ भरोसा टूट रहा...