...

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कितना तनहा हूँ मैं...
तुम बिन,दिल फकीरी
क्या करूँ,शोहरत का मैं

दुनिया की भीड़ में भी,
अजब अकेला पन है
क्या करूँ,ऐसी सोहबत का मैं

मैं तुम बिन सफर में
हर राह जीत जाऊं
कि चमकूं फ़लक पर
सरे राह जगमगाऊँ

मन के अंधेरों में
फिर भी बिलखता
तुमको ही ढूंढे
तुमको तरसता

सब पाकर भी,
जो खोया तुम्हें है
क्यां करूँ कहो तुम ही
मैं ऐसी खुशियां समेट कर

सुनो
इस शोहरत का
क्या करूँ बोलो
तुम्हें भी खबर
कितना तनहा हूँ मैं


© राइटर.Mr Malik Ji....✍