...

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तेरी याद …..
तेरी याद अक्सर चुभती है
दिल में शूल बनकर ,
तार-तार कर देती है मेरे अंचल को
जब जब उलझती है उससे ,
मैं निरीह बेवस सी देखती रह जाती हूँ
उन पगडंडियों को ,
जिससे होकर वो मेरे क़रीब आती है
मुझे तड़पाती है ,
बन गई है नासूर सी तेरी यादें हर पल
मेरे हृदय को ज़ख़्म दे जाती है ,
उफ़्फ़…. ये तेरी यादें .!!