...

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जंजीर
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
बिखरे ख्वाबों को जोड़कर

सबकुछ जो सोचा हैं ईमान संग
मुकम्मल करूंगा ख्वाबों की दास्तां
मेरा वजूद है इस जमीं पर कुछ तो
बना दूंगा मेरे मक़ाम को गुलिस्तां

रोना रातों में हार के बाद
इसमें क्या कुछ ग़लत है
पर फिर से कदमों को आगे रखना
ये सच्चे मुसाफ़िर की लत है

तोहमतें मुझपे लगाओगे
तों भी ना हम तुम से डरेंगे
ऐतबार है...