क्यूं तु अपना सा लगता है
क्यूं तु अपना सा लगता है
दुर होने की कोशिश में तुझको और पास पाती हुं
तेरी आंखों में खुदको रोज़ तलाशती हुं
हर रास्ते गली में तुझको ढुंडती जाती हुं
क्यूं तु इतना खास लगता है
ये सवाल रोज़ खुदसे करती जाती हुं
तेरे बिना चैन नहीं पड़ता है
तु पता नहीं क्यों अपना सा लगता है
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दुर होने की कोशिश में तुझको और पास पाती हुं
तेरी आंखों में खुदको रोज़ तलाशती हुं
हर रास्ते गली में तुझको ढुंडती जाती हुं
क्यूं तु इतना खास लगता है
ये सवाल रोज़ खुदसे करती जाती हुं
तेरे बिना चैन नहीं पड़ता है
तु पता नहीं क्यों अपना सा लगता है
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