वो नारी ही है........!
एक नारी.....
कहीं पर राधा बनी
कहीं पर मीरा बनी
कहीं पर गंगा बनी
कहीं पर गिरिजा बनी
त्यागी अपनी हर इच्छा किया समर्पण
बाटा सिर्फ प्रेम,प्रेम और प्रेम.......।
एक नारी......
कहीं पर मां बनी
कहीं पर बहेन बनी
कहीं पर सहेली बनी
कहीं पर पत्नी बनी
बदनामी का घूंट पिया हर पग पग पर किया समर्पण
बाटा सिर्फ प्रेम, प्रेम और प्रेम.....।
एक नारी......
प्रेम की सूरत है
प्रेम की मूरत है
प्रेम की पराकाष्ठा है
प्रेम का...
कहीं पर राधा बनी
कहीं पर मीरा बनी
कहीं पर गंगा बनी
कहीं पर गिरिजा बनी
त्यागी अपनी हर इच्छा किया समर्पण
बाटा सिर्फ प्रेम,प्रेम और प्रेम.......।
एक नारी......
कहीं पर मां बनी
कहीं पर बहेन बनी
कहीं पर सहेली बनी
कहीं पर पत्नी बनी
बदनामी का घूंट पिया हर पग पग पर किया समर्पण
बाटा सिर्फ प्रेम, प्रेम और प्रेम.....।
एक नारी......
प्रेम की सूरत है
प्रेम की मूरत है
प्रेम की पराकाष्ठा है
प्रेम का...