Wo Shahr Apna Sa
आज फिर चले आये अपने शहर मे
सफ़र जिंदगी का कुछ यूँ था कभी लौट के न आ सके.
आज कितने दिनों बाद
देखा खिड़की से सुबह की हल्की धूप आती हुई .
जैसे...
सफ़र जिंदगी का कुछ यूँ था कभी लौट के न आ सके.
आज कितने दिनों बाद
देखा खिड़की से सुबह की हल्की धूप आती हुई .
जैसे...