...

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मेरे जज़्बात
काग़ज पे ना जाने तुम
कैसे उतर आते हो मेरी हर रचनाओं में ?

हर शब्द तुम्हारे भाव से भरा होता है

काग़ज के बिना मेरा भी कहां था मुकाम और
मुझमें ही तेरे नाम का था एक नाम और

मांगी कहां थी तुमसे जहां भर की हर ख़ुशी
मुझको तो चाहिए थी महज एक शाम और

जज़्बात अपने घोल के काग़ज़ पे लिख दिए
हजरात पेश कर चले हम इक क़लाम और

ताउम्र ख़ुद को मैंने भी साबित किया मगर
क़िस्से मुआशरे ने उछाले तमाम।।

#writco #poem
© अlpu