...

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प्रेम
तू चांद सी शीतल ,
में सूरज का टुकड़ा हू।।
तू पावन जल धारा सी,
में समंदर का किनारा हू।।
तू पसंद हजारों की,
में अपनी मां का दुलारा हू।।
तू बैंक बैलेंस अंबानी का,
में दिल्ली का बजट बेचारा हू।
तू सपनो की दुनिया है,
में हकीकत में हू जागा सा।।
बेसक तेरा और मेरा मेल मुस्कील,
हा तेरा और मेरा मेल मुस्कील है।
पर तू जो थाम ले मुझको ।।
तो दुनिया फिर ये देखेगी ,
की तेरा और मेरा प्रेमी हो जाना ।।
आखिर ये कैसे मुमकिन है।।
~Aadi Rajput