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किन्नर: वरदान या अभिशाप
किसी इंसान में इंसानियत नहीं लिंग को पहले देखते हैं,
समाज के ही एक वर्ग को हम हय दृष्टि से देखते हैं,
जिसके मुख से निकली हर बात को दुआ बद्दुआ में तौलते है,
समाज के उसी किन्नर वर्ग को हम हिंजडा़ कहकर अपमानित करते हैं,
अपने घर के हर शुभ अवसर पर पहले जिनको न्यौता सब देते हैं,
उसी वर्ग को समाज से बेदखल कर नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं,
ईश का रूप मानते जिसे उसी से सड़क पर भीख मंगवाते हैं,
और जिसके मुंह में बसी सरस्वती उसी को...