...

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जिंदगी में कई इनाम , लौटाना आता है।
नहीं पता कितने इनाम मिलते होंगे लोगो को
जिंदगी में , मुझे मिले कई है ।

जिसे सोचा जो,जुदा बिलकुल निकला।

अजमाइश मैने न की, पर इम्तिहान तो
मेरा लिया जा रहा था ।

कमज़ोर तो मैं तब भी न थी, कमज़ोर मैं अब भी नहीं, बस तब सच्चाई का पता नहीं,
अब सच्चाई से अनजान नहीं।

अंभिज्ञता का अर्थ अनजान है और अनभिज्ञता
थी मुझे कारण चरित्र मन और नियत साफ और
शुद्ध थी ।

पर हर किसी को ये बता देना
मेरे लिए मुमकिन नहीं
मैं गुनहगार रहना चाहती/चाहता हूं।

किसी की झूठी करुणा
मुझसे बर्दाश्त नहीं, गुनाह
उनका था और वो इस बात से
अनजान नही।


और मैं अब अनजान नही

पर कभी तो थी।

बड़ी मुश्किल भरे दिन थे।

पर जिगर फौलादी था ।


झूठे इल्जाम को सहकर
माफ कर दिया।

गुनहगार जो है वो वैसा ही
रहेगा।


मुझे देने वाले जुल्म भरे इनाम

को ठुकराना मुझे आता है


तुम रुला सकते हो

और हमे आसूं से भरी आंखों के साथ भी

मुस्कुराना आता है।


तेरा यूं रास्ता बदलना तुझे आसान लगता है ।


पर हम भी कोई नासमझ नहीं

दिल से दर्द को निकाल फेंकना

हमको बखूबी आता है ।


जिंदगी में मिले इनाम को हमे लौटना आता है।


© Aarti kumari singh