...

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बालपन
कहीं थी निगाहे, कहीं था निशाना,
तेरा रूठ जाना, वो हंस कर मनाना।
नहीं भूल पाएंगे चाहत के किस्से,
वो मुश्किल घड़ी मे तेरा मुस्कुराना।

वो छुप्पन छुपाई, वो पकड़न पकड़ाई,
वो छोटी मिलन की, वो लंबी जुदाई।
वो सांसो मे सरगम, वो आखों में आंसू,
बड़ी जिद कर भी, तेरा शरमा जाना।

वो तेरा साथ चलना, कभी बल खाना,
नटखट अदाओं पर, कभी लड़खड़ाना।
वो सावन की बारिश में, पीपल के नीचे,
वो छुप-छुप कर संग, तेरा...