...

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बदलती रुत, बदलता समाँ
# दिल में ज़ख्म गहरे लगे हैं
मुनाफिक भी खुशामद करने लगे हैं
बेनमाज़ी थे यार मेरे, पर अब
मेरे सुकूं की दुआ सारे करने लगे हैं
बदलेगा...