तुम आए थे क्या?
तुम्हारे आने का पता ही नहीं चला , तुम आए थे क्या?
खामोशियों से रास्ता गुजर गया, ना हम बोले ना तुम बोले, तुम आए थे क्या?
जब मुलाकात हुई, कुछ कहना चाहा,लगा ही नहीं तुम मिले थे,
हम झील के किनारे बैठे, उन रास्तों पर कुछ दूर चले, मुझमें साहस आया नहीं,
मैं कुछ बोलता पर तुमने मन के दरवाजे बंद किए हुए वो वक्त बिता दिया,तुम आए थे क्या?
मुझे लगा मुझे यह सब नहीं मालूम, पर मुझे नजदीकी लगी
तुम आए थे क्या?
हां मैं बहुत धीमा चलता हूं, अपनी बात कहने में झिझकता हूं, सोचा
तुम ही ही कुछ कहोगे हम सुनेंगे,
पर जब भी करीब बैठे तुम कोषों दूर थे,
शायद किसी और के साथ तो,
तुम आए थे क्या?
अब तुम जा ही चुके हो किसी मजबूरी में जिसे छुपाया भी नहीं जा सकेगा,
एक दिन सामने आना है तो मैं पूछूंगा तुमसे,तुम आए थे क्या?
खुद को पता नहीं चला मुझे, तुम बिना बताए चल गए तो कमी का एहसास हुआ,तो
तुम आए थे क्या?
एक हवा का झोका सा लगा, लगा कोई बहार आई होगी, तुम्हारी खुशबू अलग थी,
तुम आए थे क्या?
© J. R. GURJAR
खामोशियों से रास्ता गुजर गया, ना हम बोले ना तुम बोले, तुम आए थे क्या?
जब मुलाकात हुई, कुछ कहना चाहा,लगा ही नहीं तुम मिले थे,
हम झील के किनारे बैठे, उन रास्तों पर कुछ दूर चले, मुझमें साहस आया नहीं,
मैं कुछ बोलता पर तुमने मन के दरवाजे बंद किए हुए वो वक्त बिता दिया,तुम आए थे क्या?
मुझे लगा मुझे यह सब नहीं मालूम, पर मुझे नजदीकी लगी
तुम आए थे क्या?
हां मैं बहुत धीमा चलता हूं, अपनी बात कहने में झिझकता हूं, सोचा
तुम ही ही कुछ कहोगे हम सुनेंगे,
पर जब भी करीब बैठे तुम कोषों दूर थे,
शायद किसी और के साथ तो,
तुम आए थे क्या?
अब तुम जा ही चुके हो किसी मजबूरी में जिसे छुपाया भी नहीं जा सकेगा,
एक दिन सामने आना है तो मैं पूछूंगा तुमसे,तुम आए थे क्या?
खुद को पता नहीं चला मुझे, तुम बिना बताए चल गए तो कमी का एहसास हुआ,तो
तुम आए थे क्या?
एक हवा का झोका सा लगा, लगा कोई बहार आई होगी, तुम्हारी खुशबू अलग थी,
तुम आए थे क्या?
© J. R. GURJAR