बातें....
बहुत रोई मैं!
बहुत चीखी मदद को!
पर फिर भी कोई आया ही नहीं।।।
बहुत घुटन थी उन रातों में
जागती रही!
एक पल के लिए भी आंख को
झपकाया भी नहीं।।।
कहा तो सभ ने
जैसी हो बहुत अच्छी हो!
पर किसी ने अपना बनाया ही नहीं।।।
मेरे होने का सकूं
और खोने का डर हो जिसमें!
ऐसा शक्श मैंने जिंदगी में कभी पाया ही नही।।।
© Old_Soul
बहुत चीखी मदद को!
पर फिर भी कोई आया ही नहीं।।।
बहुत घुटन थी उन रातों में
जागती रही!
एक पल के लिए भी आंख को
झपकाया भी नहीं।।।
कहा तो सभ ने
जैसी हो बहुत अच्छी हो!
पर किसी ने अपना बनाया ही नहीं।।।
मेरे होने का सकूं
और खोने का डर हो जिसमें!
ऐसा शक्श मैंने जिंदगी में कभी पाया ही नही।।।
© Old_Soul