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*** तेरी नज़र ***
Pic : pexels.com

*** कविता ***
*** तेरी नज़र ***

" तुझसे कहते कि चुप रहता मैं ,
तेरी नज़र की हालात पे वाकिफ हो रहे थे ,
यूं मिलना तेरा मिलना ही रहा ,
इस जद्दोजहद में तेरी एक हामी की कमी थी ,
वक़्त गुज़रता रहा ये सफर ये करवा चलता रहा ,
ना तुम कुछ कहे ना मैं कुछ कह सका ,
मना कि कुछ सफर पुरा हुआ ,
ये करवा तुम कहीं अधूरा छोड़ गये ,
कोई ख्याल बस ख्याल ही रहा ,
तुम अपनी आरज़ू - जूस्तजु छोड़ गये ,
तुम से कहते की चुप रहता मैं ,
लेकर बैठे हैं यादें तेरी ,
कुछ पल का सफ़र साथ रहा ,
फिर इस पे खुद बहस चल रही हैं ,
यूं खामोशी पाले रखना मेरा ,
खुद पे नागवार गुजर रहा . "

--- रबिन्द्र राम
© Rabindra Ram