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गुलाब
महफ़िलों में उनकी गुलाब हुआ करते हैं
जाने किस श़वाब में ज़नाब हुआ करते हैं
नादान ये दिल नादानी कर बैठा
फ़िर जा उन्ही से मोह़ब्बत कर बैठा
अब आंखों में उन्ही के ख्वाब हुआ करते हैं
जाने किस श़वाब में ज़नाब हुआ करते हैं
मैं भी वहीं हूं कमबख्त़ दिल भी वहीं हैं
महफिल भी वहीं हैं बस वो ही नहीं है
टूट जाता है दिल तन्हाईयों में अक्सर
अभी भी कुछ बचा है जिसमे आप हुआ करते हैं
जाने किस श़वाब मे ज़नाब हुआ करते हैं
पूछता हूं ऐ दिल क्यूं मोह़ब्बत तू करता है
क्यूं देता है पऩाह फिर उन्हीं को तरसता है
नादान ये दिल जानता कुछ नही
कहां इसके पास जबाब हुआ करते हैं
जाने किस श़वाब में ज़नाब हुआ करते हैं
कुछ तो है दरमियां जो इबादत हो तुम
धड़कनों के जैसे दिल की आदत हो तुम
मगर इबादतों में कहां वो खुशबूऐं गुलाबों सी
और उनके तो सिर्फ गुलाब हुआ करते हैं.....
जाने किस श़वाब में ज़नाब हुआ करते हैं
नादान ये दिल नादानी कर बैठा
फ़िर जा उन्ही से मोह़ब्बत कर बैठा
अब आंखों में उन्ही के ख्वाब हुआ करते हैं
जाने किस श़वाब में ज़नाब हुआ करते हैं
मैं भी वहीं हूं कमबख्त़ दिल भी वहीं हैं
महफिल भी वहीं हैं बस वो ही नहीं है
टूट जाता है दिल तन्हाईयों में अक्सर
अभी भी कुछ बचा है जिसमे आप हुआ करते हैं
जाने किस श़वाब मे ज़नाब हुआ करते हैं
पूछता हूं ऐ दिल क्यूं मोह़ब्बत तू करता है
क्यूं देता है पऩाह फिर उन्हीं को तरसता है
नादान ये दिल जानता कुछ नही
कहां इसके पास जबाब हुआ करते हैं
जाने किस श़वाब में ज़नाब हुआ करते हैं
कुछ तो है दरमियां जो इबादत हो तुम
धड़कनों के जैसे दिल की आदत हो तुम
मगर इबादतों में कहां वो खुशबूऐं गुलाबों सी
और उनके तो सिर्फ गुलाब हुआ करते हैं.....
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