गुलाब
महफ़िलों में उनकी गुलाब हुआ करते हैं
जाने किस श़वाब में ज़नाब हुआ करते हैं
नादान ये दिल नादानी कर बैठा
फ़िर जा उन्ही से मोह़ब्बत कर बैठा
अब आंखों में उन्ही के ख्वाब हुआ करते हैं
जाने किस श़वाब में ज़नाब हुआ करते हैं
मैं भी वहीं हूं कमबख्त़ दिल भी वहीं हैं
महफिल भी वहीं हैं बस वो ही नहीं है...
जाने किस श़वाब में ज़नाब हुआ करते हैं
नादान ये दिल नादानी कर बैठा
फ़िर जा उन्ही से मोह़ब्बत कर बैठा
अब आंखों में उन्ही के ख्वाब हुआ करते हैं
जाने किस श़वाब में ज़नाब हुआ करते हैं
मैं भी वहीं हूं कमबख्त़ दिल भी वहीं हैं
महफिल भी वहीं हैं बस वो ही नहीं है...