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" गणतंत्र "
" गणतंत्र "
वर्तमान में यारों हमने " गणतंत्र " की परिभाषा बदल दिया है..!
महज़ अल्फ़ाज़ो में हमारा देश
" गणतंत्र " रह गया है..।
परिदृश्य यही है कि जिस देश की शान के लिए हम मर मिटे थे..
वह " कौमी एकता " अब " खण्ड-खण्ड " हो रहा है..!
जात-पात भेदभाव का आवरण
ओढ़े यह मेरा देश धूं-धूं कर क्यूँ जल रहा है ..?
" गणतंत्र " में अब वो " पाकीज़गी " नहीं रही दोस्तों ..!
नफ़रत पाले हुए अपने दिल में यहाँ हर शक़्स चल रहा है..!
एक दूजे का खून पीने को हर चौथा व्यक्ति इस देश में जाने क्यूँ मचल रहा है..?
कहाँ है वह " भाईचारा" ..?
कहाँ है वह " अनेकता में एकता "..?
कहाँ है वह " देशप्रेम "..?
कहाँ है वह" एकजुटता " ..?
एक जात दूसरे जात को नोच-खसोट कर खा रहा है..!
दलितों के संग आज भी कहाँ इंसाफ़ हो रहा है..?
हमारा भारत देश इंसानियत का प्रतीक रहा है..!
इस छवी से ही हम विश्वविख्यात है..!
यह हम सब को स्मरण रहे कि हम
सब भारतवासी हैं न कि हिन्दू - मुस्लिम और न सिख - ईसाई और न ही कोई छोटा और न ही बड़ा है..!
इंसानियत से परे कोई महान धर्म नहीं होता है..!
तभी सही मायने में हम " गणतंत्र "
की शुभ बेला मनाएं..!

🥀teres@lways 🥀